Thursday, January 3, 2019

Safar Rohini Ka

रोहिनी बड़ी मजाकिया और साफ़ दिल की थी कभी कभी ज्यादा फ्रैंक हो जाती थी थोड़ा बचपना था उसमे पर सब कुछ ठीक ही था सब से मुस्कुरा के बात किया करती थी। हाँ बाहर थे दो तीन अफेयर उसके पर दफ्तर में तो ज्यादातर सबको भईया ही बोला करती थी। दफ्तर तो सर मैडम वाला ही था पर आदत थी उसकी भईया बोलने की।  सबसे उसकी पटती भी खूब थी। खाने पीने के मामले में तो जरा भी नहीं हिचकिचाती थी।  थी बड़ी मस्त रहने वाली।  कई साल उसी दफ्तर में काम करती करती रही पोस्ट भी ठीक थी हाँ पगार कुछ ख़ास नहीं थी।  संतुष्ट भी नहीं थी अपनी पगार से।  कई बार आग्रह भी किया पगार बढ़ाने का पर पर मालिक पर कोई असर नहीं पड़ा और तो और उसे समय समय पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का एक भी मौका नहीं छोड़ता।  रोहिनी तुम गलतियां बहुत करती हो।  सभी के सामने चिल्लाने लगता यूँ तो रोहिनी को किसी की भी बातों का बुरा नहीं लगता था पर हद होती है बर्दाश्त की भी पानी सर से ऊपर जाने लगा था रोज का रोना ही शायद किस्मत था उसकी।  एक तो घर की फाइनेंसियल कंडीशन ठीक नहीं थी ऊपर से कोई और नौकरी का जरिया भी नहीं था।  घर के बारे में जितना वो सोचती थी घर का कोई और सदस्य शायद हे सोचता होगा।  जैसे तैसे करके समय काट रही थी।  मन तो नहीं लग रहा था उस दफ्तर में पर कर भी क्या सकती थी। आखिर हिम्मत दिखाई उसने और दे दिया रेजिग्नेशन लेटर कंपनी के ओनर को बहुत ही शांत स्वाभाव से।  अब ओनर का चेहरा कुछ फक सा हुआ उम्मीद नहीं थी ऐसा कुछ होगा।  क्यों क्या हुआ कहीं और जॉब लग गयी तेरी, ओनर ने पूछा।  नहीं सर अभी कुछ टाइम जॉब नहीं करनी आराम करना चाहती हूँ।  बहुत जल्दी थक गयी? हाँ बस सर ऐसे ही।  दोबारा कब आएगी ? शायद कभी नहीं।  चल ठीक है ओनर ने कहा।  पर सिलसिला कहाँ रुका एक महीने में कितनी बार रोई होगी पहले से ज्यादा टॉर्चर होकर।  आखिर कह ही दिया अलविदा दफ्तर को कुछ ख़ुशी कुछ परेशानी थी इस बात की अब क्या होगा कैसे घर पर फाइनेंसियल हेल्प करुँगी कुछ समय हे बीता था ऑफिसियल जॉब का एक्सपीरियंस होने के बावजूद लेबर की जॉब करनी पड़ी।  पर मासूमियत उसकी वो खुश थी उस काम में भी।  कुछ समय हे बीता था फिर से कोई ऑफिसियल जॉब जॉब मिल ही गयी उसे।  खुश तो वो पहले भी थी और अब भी।  शादी की उम्र हो चली थी लेकिन घर का भार भी तो संभालना है सोच कर मन कर देती।  अब ज्यादा रूक भी नहीं सकती थी घर वालों का दबाब जो था।  उसने भी बता दिया प्यार करती हूँ किसी से पुराने दफ्तर में जो मेरे साथ काम करता था।  कभी  कभी सोचा नहीं था किसी ने की दफ्तर वाला लड़का पर अफेयर तो बाहर चल रहा था।  रोहिनी हँसते हुए बाहर अफेयर था प्यार नहीं।  शादी करुँगी तो उसी से।  अब क्या था शादी हो गयी जिस से उसने प्यार किया।  अब दोनों बहुत खुश हैं मिल कर घर का और बाहर का काम करते हैं। मायके  की चिंता भी रहती है रोहनी को पर फिर भी सब ठीक चल रहा है।

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Wednesday, January 2, 2019

Khumari

हलकी हलकी सी खुमारी है
जिसको हम सोचते थे वो हमारी है 
ना जाने कहाँ खो गयी समय के साथ 
घड़ी की वो टिक टिक सारी है 
हम सोते रहे इस ख्याल में 
अभी समय बहुत है दीदार में 
ना जाने कब समय आया और चला गया 
हम सोते ही रह गए दीदार ए ख्याल में 

अब ना नौकरी है न व्यापर 
हो गए हम लाचार 
ना जागे हम समय पर 
और हो गए बेकार 

कबीर जी ने कहा है 
काल करे से आज कर आज करे सो अब 
पल में परलय होएगी बहुरि करेगा कब 


प्लीज् लाइक एंड शेयर 
कमेंट ऑल्सो इफ यू लाइक इट। ...



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